धर्मराज युधिष्ठिर को कोन सी ऐसी क्षणे थी जिसने धर्मराज युधिष्ठिर को साधारण महराज युधिष्ठिर बना दिया और क्यू?
अश्वथामा मारा गया याद नही नर या हाथी, एक वाक्य ,ये एक वाक्य कीसने कहा साक्षात धर्मराज युधिष्ठिर ने वो युधिष्ठिर जिसने जीवनमें कभी भी असत्य नही कहा ,परंतु उसने कुछ ऐसे क्षणोमे कुछ कारणों सर सिर्फ महराज युधिष्ठिर बनके रह गए। जब धूत का नोता आया तब अस्वीकार कर सकते थे महराज युधिष्ठिर लेकिन नही, अभिमान के लिए वो नोते का स्वीकार किया गया। अभिमान के लिए किया गया यही क्षण उन्हें साधारण बना दिया। उन्होंने गुरु द्रोण को परास्त करने के लिए एक असत्य कहा अश्वत्थामा मारा गया पर फिर ग्लानि से धीरे स्वर में कहा ज्ञात नही नर या हाथी , अब वो अर्ध सत्य हो या फिर छाया गया सत्य असत्य ही होता है ,और हर कर्म का फल मिलकर ही रहता हे। इन क्षणों के कारण युधिष्ठिर को भी नरकवास करना पड़ा था ।

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