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कृष्णवाणी: सागर को इतना महान किसने बनाया है?

                       ।।   कृष्णा वाणी।।

           ये सागर इतना विशाल हे कभी शांत तो कभी उत्पाद किंतु ये सागर को इतना महान किसने बनाया ही है, जल ! अब इस जल की यात्रा देखिए कितनी कठिन ही है, ये जल जब सागर में होता है तो सूर्य उसे तपाता ही है और जल अपना अस्तित्व खोता ही है और भाप बनकर हवाम  उड़ जाता हे और मेघ बन जाता हे फिर ये मेघ कही पर्वत से जाकर टकराकर अपना अस्तित्व खोता ही है फिर ये वरसाद के रूप में बरसने लगता है ।
     
      अब ये वरसाद यात्रा करता है धरा पर और धरा पर गिरी ये वर्षा धारा का रूप लेती ही है और धीरे धीरे बहने लगती है और नदी बन जाती है  , नदी बनके बहते बहते चट्टानों से टकराती है पर्वतों से टकराती है और ये नदी सागर में समा जाती है ।
   

      नदी का जल फिर अपने अस्तित्व को खोता ही है किंतु इशबार वो जल सागर बन जाता है।


               ये सिख हे हम सबके लिए की , इस संसार में जीवन और समय की अनंत यात्रा हे , इस संसार में जो भी हे उसका प्रारंभ पुनः होगा इसलिए मृत्यु और अंत की त्याग दीजिए और आपको जो प्रारंभ मिला हे उसका आनंद उठाइए और सोचिए  कि संसार और समाज का भला कैसे हो सकता हे और प्रेम से कहिए राधे राधे।




राधे राधे 







     

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