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कृष्णवाणी : आजीवन सुखी रहेने का जीवन मंत्र क्या है?

                           कृष्णवाणी 

    भगवान और भूल दोनो एक ही अक्षर से आरंभ होते है और तो और दोनो की राशि भी एक है। आप कहेंगे भगवान और भूल इसमें क्या समानता है? बहुत बड़ी समानता है न केवल ये एक अक्षर से आरंभ होता है बल्कि उनका विजयमंत्र भी एक ही है।
   
     भगवान को मानो,उनपर विश्वास करो ,उन्हें स्वीकार करो ,ये करोगे तो मन की दृष्टि से भगवान दिख ही जायेंगे और आपको संपन्न कर देते है। यही भूलो के साथ भी हे। अपनी भूलो को मानो , स्वीकार करो तो सबकुछ अपने आप ही स्पष्ट रूप से दिखने लगेगा।
    
      जिस दिन आप अपनी भूल स्वीकार करना सीख जाते है उसी दिन से प्रक्रिया आरंभ होती है अपनी भूलो को स्वीकार करने की आप समझ जाते हे की केसे अपनी भूलो को सुधारना हे।

            स्वयं को श्रेष्ठ बनाने के लिए स्वयं की भूलो को स्वीकारना आवश्यक हे इस जीवन में शांति लाने के लिए ईश्वर को स्वीकार करने आवश्यक हे सदेव अपने गुण और दोष स्मरण रखिए आजीवन सुखी रहोगे ।   

                     -   राधे राधे 



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