कहा जाता है की जीवन में प्रेम करना ही सुख का मूल हे,और सत्य भी ,अब प्रश्न ये उठता है की प्रेम किससे किया जाए यदि आपको कुछ क्षणों केलिए सुख चाहिए तो प्रेम कीजिए अपनी रुचियों से,यदि आपको कुछ दिनों के लिए सुख चाहिए तो प्रेम कीजिए अपने मित्रो से ,यदि आपको कुछ महीनो के लिए ,अनेक महीनो केलिए,अनेक वर्षों के लिए सुख चाहिए तो प्रेम कीजिए अपने परिवार से,माता पिता,अपनी संतान , पति पत्नी अपने संबंधी ओ से किंतु आपको सदा सदा के लिए सुखी रहेना है तो प्रेम करना होगा सिर्फ अपने कर्मों से ,क्युकी संबंध चाहे कैसा भी हो कभी न कभी तो टूटता है।
ये संसार कुछ ऐसा ही हे की जिसका साथ मिलता है उसका साथ छूटता भी हे,केवल कर्म ही मात्र एक ऐसा ही जो आपका साथ नही छोड़ेगा ,मृत्यु पशयत भी यही कर्म आपको जीवित रखता है इसलिए सदेव स्मरण रखिए की कर्म को धर्म समाज के निभाइए जीवन के अंतिम क्षण तक कर्म से प्रेम कीजिए ,जीवन के अंतिम क्षण तक सुखी रहेंगे ।

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