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कृष्णवाणी: मनुष्य जीवन को श्रेष्ठ केसे बनाए ?

             पक्षी राज कहलाता हे बाज, बाज की जीवन आयु लगभग ७० वर्ष ,अब ४० वर्ष आते आते उनके पंख लचीले और लंबे हो जाते हे , चांच टेडी हो जाती है पंख भरी हो जाते हे अर्थात वो भव्य उड़ान नही ,शक्तिहीन अब बाज करे तो क्या करे ,बाज सबसे कठिन चयन करता है , चयन स्वयं की पुनर्स्थापना का , सर्वप्रथम किसी विशाल पर्वत पर जाता है एकांत में अपना गोसला बनाता हे और फिर चट्टान पर अपनी चांच मार मार कर चांच ही तोड़ देता है और प्रतिक्षा करता है पुन उग जाने की फिर वही अपने पंजों के साथ भी करता है तदपश्यत अपने भारी पंखों को एक एक कर स्वयं नोच के निकाल देता हे फिर १५० दिनों की पीड़ा सहने के बाद उसे फिर से मिलती हे वही भव्य उड़ान ,वही शक्ति और फिर जीवन के अगले ३० वर्ष जीता हे ।


              यदि इच्छा शक्ति हो तो दुर्बल भी बलि बन सकता है , आप भी यही कीजिए अपने बीते हुए कल का भर त्याग दिजिए और कल्पना की एक उन्मुख उड़ान भरिए। स्वयं की पुनर्स्थापना करे तभी सर्व श्रेष्ठ बनेंगे और स्मरण रखिए छोटे छोटे आरंभ ही बड़े बड़े शिखर तक ले जाते हे।


                             राधे राधे।



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