पक्षी राज कहलाता हे बाज, बाज की जीवन आयु लगभग ७० वर्ष ,अब ४० वर्ष आते आते उनके पंख लचीले और लंबे हो जाते हे , चांच टेडी हो जाती है पंख भरी हो जाते हे अर्थात वो भव्य उड़ान नही ,शक्तिहीन अब बाज करे तो क्या करे ,बाज सबसे कठिन चयन करता है , चयन स्वयं की पुनर्स्थापना का , सर्वप्रथम किसी विशाल पर्वत पर जाता है एकांत में अपना गोसला बनाता हे और फिर चट्टान पर अपनी चांच मार मार कर चांच ही तोड़ देता है और प्रतिक्षा करता है पुन उग जाने की फिर वही अपने पंजों के साथ भी करता है तदपश्यत अपने भारी पंखों को एक एक कर स्वयं नोच के निकाल देता हे फिर १५० दिनों की पीड़ा सहने के बाद उसे फिर से मिलती हे वही भव्य उड़ान ,वही शक्ति और फिर जीवन के अगले ३० वर्ष जीता हे ।
सफलता कोन नही चाहता ,सफलता को प्राप्त करने का शिखर पर पहुंचने का अलग ही आनंद हे,और जीवन में अपने कोन नही चाहता ,हरेक व्यक्ति चाहता है की जीवन में मेरे कुछ अपने हो और सदेव मेरे साथ रहे ,क्युकी अपनो के साथ सफलता का आनंद सबसे अधिक आता हे। पर होता क्या है कई बार सफलता की खोज में उसके मार्ग पर चलते चलते हम अपनो से दूर हो जाते हे ,ना चाहते हुआ भी दूर हो जाते हे , उन्हें समय नहीं दे पाते ,कभी कभी भूल जाते हे की सफलता का वास्तविक आनंद अपनो के साथ आता हे,की जब हम सफल होने के पश्यात अपनो से मिलते ही तो जो उनके मन में हमारे लिए भाव हे यही असली पुरस्कार हे। अब आप क्या चाहते हो आप असफल होकर अकेले रहना चाहते हो या सफल होकर अपनो के साथ आनंद मनाना चाहते हो सफलता की पीछे भैगिया किंतु अपनो का साथ कभी मत छोड़िए जो आपकी सफलता के लिए उत्तरदाई है। राधे राधे। ...

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