सफलता कोन नही चाहता ,सफलता को प्राप्त करने का शिखर पर पहुंचने का अलग ही आनंद हे,और जीवन में अपने कोन नही चाहता ,हरेक व्यक्ति चाहता है की जीवन में मेरे कुछ अपने हो और सदेव मेरे साथ रहे ,क्युकी अपनो के साथ सफलता का आनंद सबसे अधिक आता हे। पर होता क्या है कई बार सफलता की खोज में उसके मार्ग पर चलते चलते हम अपनो से दूर हो जाते हे ,ना चाहते हुआ भी दूर हो जाते हे , उन्हें समय नहीं दे पाते ,कभी कभी भूल जाते हे की सफलता का वास्तविक आनंद अपनो के साथ आता हे,की जब हम सफल होने के पश्यात अपनो से मिलते ही तो जो उनके मन में हमारे लिए भाव हे यही असली पुरस्कार हे। अब आप क्या चाहते हो आप असफल होकर अकेले रहना चाहते हो या सफल होकर अपनो के साथ आनंद मनाना चाहते हो सफलता की पीछे भैगिया किंतु अपनो का साथ कभी मत छोड़िए जो आपकी सफलता के लिए उत्तरदाई है। राधे राधे। ...
मनुष्य और धन इन दोनो में संबंध अत्यंत गहरा हे धन वो शक्ति हे जिसका उपयोग मनुष्य करता है सांसारिक वस्तु को खरीदने के लिए और मनुष्य वो शक्ति हे जो धन को महानबान देती है ,अब एक बात हे उपयोग करना चाहिए धन का और प्रेम करना चाहिए मनुष्य से ये बात अधिकतर लोग समझते ही नही,लोग यही सबसे बड़ी भूल कर बैठते हे वो प्रेम करते हे धन से और उपयोग करते हे मनुष्य का ये अनुचित है। देखिए आप किसी सूई से युद्ध नही लड़ सकते,न किसी तलवार से वस्त्र सी सकते है नही क्या किसके लिए हे वो समझना आवश्यक है आप भी उचित दिशा में कदम उठाई। प्रेम कीजिए मनुष्य से और उपयोग कीजिए धन का अगर आप मनुष्य का उपयोग करने लगे तो आपको प्रेम होने लगेगा धन से ये प्रेम धीरे धीरे परिवर्तित होगा लोभ में और धीरे धीरे ये आपका अंत कर ही देगा तो सभी मनुष्यों से प्रेम कीजिए। राधे राधे। ...